Monday 25 December 2017

माँ

माँ गोद में लेकर झुलाने लगी है,
फ़रिश्ते सारे मुस्कुराने लगे हैं।

देखो वो मट्टी के दीये, उदास, बुझे हुए,
छूकर माँ के हाथों को, टिमटिमाने लगे हैं।

था दिन बड़ा चुपचाप सा, कुछ उदास सा,
माँ थोड़ा सा मुस्कुरायी,
मूँढहेर, चौबारे, आँगन खिलखिलाने लगे हैं।






Written by
Mohit shrivastava
मोहितमोहित








No comments:

Post a Comment

WRITTEN BY MOHIT SHRIVASTVA

तारीखें