Saturday 30 December 2017

तारीखें


कुछ तारीखें गुज़रती हैं, कुछ तारीखें थमती हैं।

कुछ तारीखें कुछ ले जाती हैं, कुछ तारीखें कुछ दे जाती हैं,
कुछ तारीखें रुलाती हैं, कुछ तारीखें मुसकाती हैं



कुछ तारीख़ों में तुम नहीं होते हो,
कुछ में तुम होते हो, सिर्फ़ तुम होते हो



काश मैं उस हर तारीख़ को रोक सकता,,,,
जिनमें तुम होते हो, सिर्फ़ तुम !!

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WRITTEN BY MOHIT SHRIVASTVA

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